इंसानों के बाज़ार में,
जज्बातों का मोल ज़रा कम है।
लबों पर हंसी होते हुए भी,
आँखें ज़रा नम है।
सब कुछ होते हुए भी,
कभी कभी कुछ कम सा लगता है।
अपनों का साथ होते हुए भी,
एक अकेलापन सा लगता है।
अश्रु हैं नयनों में,
मगर बह नहीं रहे।
जानते हैं सब हम,
मगर कुछ कह नहीं रहे।
इंसानों के बाज़ार में,
जज़्बातों का मोल ज़रा कम है।
लबों पर हंसी होते हुए भी,
आँखें ज़रा नम है।
Wow this is amazing dude keep going :>
ReplyDeleteBeautiful lines ♥️♥️
ReplyDeleteAs amazing as you are 👍🤗
ReplyDeleteKeep it up 💪👍