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तुम्हें कल से ज़्यादा चाहने लगी।

 तुम्हारे लिए बोलने लगी,

तुम्हारे लिए चलने लगी,
तुम्हारे लिए पढ़ने लगी,
तुम्हारे लिए लिखने लगी।

तुम्हे लिखती थी,
तुम्हे लिखती हूं,
तुम ही को लिखती रहूंगी,
अपनी आखिरी सांस तक।

तुम्हारे बारे में सोचने लगी,
तुम्हारे सपनो में खोने लगी,
तुम्हे अपना मानने लगी,
और, तुम्हे कल से ज़्यादा चाहने लगी।

-लिपि


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